मंसूबे !!
क्यों नहीं बहता है तू,
नदीं की तरह,
क्यों उकसाये बैठा है,
समंदर की तरह?
भला हिमालय भी कभी टूटा है क्या?
फिर तू क्यों तुटता है?
एक हादसा ही तो हुआ है,
जान तो नहीं छूटीं?
शुक्र मान खुदा से,
उसने तुझे बक्शा है, बच्चे की तरह,
बहता रह तू नेकी करते,
बस मंसूबे रख उस नदीं की तरह!
मंसूबे रख उस नदीं की तरह!!
@किर्ती कुलकर्णी
क्यों नहीं बहता है तू,
नदीं की तरह,
क्यों उकसाये बैठा है,
समंदर की तरह?
भला हिमालय भी कभी टूटा है क्या?
फिर तू क्यों तुटता है?
एक हादसा ही तो हुआ है,
जान तो नहीं छूटीं?
शुक्र मान खुदा से,
उसने तुझे बक्शा है, बच्चे की तरह,
बहता रह तू नेकी करते,
बस मंसूबे रख उस नदीं की तरह!
मंसूबे रख उस नदीं की तरह!!
@किर्ती कुलकर्णी
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