Monday, 28 January 2019

कुर्बान हो ना साकेगा !!

अब किसी ओर से इजहार हो ना सकेगा,
ये दिल अब किसी ओर पे कुर्बान हो ना साकेगा !!

इस दिल कि तार तुने छेडी,
अब किसी ओर के लिये ये धून गा ना सकेगा,
दिल का दरवाजा तेरे लिये खोला,
अब किसी ओर के लिये खुल ना सकेगा,
तेरी आदते, तेरी ख्वाहिशें ,तेरे सपने अपना बना बैठा हे,
किसी ओर के लिये जगह दे ना सकेगा,
सिर्फ तुही राज कर सक्ती हे इसपर,
ये किसी ओर पे कुर्बान हो ना सकेगा !!१!!

चाहता तो हूं,
तू भी आके रोज मिले,
जैसे रकीब को मिला करती हो,
तेरे हाथ कि बानी चाई,
मी भी पिऊ,
जैसे रकीब को पिलाया करती हे,
तुझे गाडी पे बिठा के,
गली गली घुमू,
जैसे रकीब घुमाया करता हे,
पर जानता हू वो नहीं पर तू जान वारती हे ऊसपे,
वो नहीं पर तू जान वारती हे ऊसपे,
लेकिन सून, मै अब किसी ओर से इजहार कर ना सकुंगा,
ये दिल तूझ पे कुर्बान हे,
किसी ओर पे कुर्बान हो ना सकेगा !!२!!

जब तेरी खुबसूरती कम हो जाये,
या रकीब को कोई ओर फुल मिल जाये,
जब तुझे सच्चे प्यार कि जरुरत हो,
किसी अपने कि जरुरत हो,
जब इबादत से ज्यादा,
इजहार हि चाहिये हो,
बस एक बार याद करना इस दिल को,
क्यों कि, किसी ओर से इजहार अब हो ना सकेगा,
ये दिल अब किसी ओर पे कुर्बान हो ना साकेगा
किसी ओर पे कुर्बान अब ये हो ना सकेगा!!४!!

                                  @किर्ती कुलकर्णी







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